Letter Format in Hindi : नमस्कार दोस्तों हिंदी व्याकरण की आज की जानकारीपूर्ण ब्लॉग पोस्ट में आपका हार्दिक स्वागत है। हम आशा करते हैं की आप कुशल मंगल होंगे। प्रिय पाठकों पत्र लेखन का नाम तो आपने सुना ही होगा, कई बार लोगो को जब किसी विषय पर पत्र लिखना होता है तो उन्हें उस पत्र का फॉर्मेट और लिखने का तरीका पता नहीं होता है। जिस कारण वे पत्र को गलत तरीके से लिखते हैं।
इसलिए दोस्तों इस समस्या के समाधान के लिए हम आज की पोस्ट पत्र लेखन इन हिंदी में आपके सामने पत्र लेखन, application format in hindi, patra lekhan in hindi class 9. 10, 12, letter writing in hindi से सम्बंधित पूरी जानकारी लेकर आये हैं। आप इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़िए इसे पढ़ने के बाद आप कभी भी पत्र लेखन में गलती नहीं करोगे।
पत्र लेखन क्या होता है Letter Format in Hindi ?
साधारण शब्दों में पत्र लेखन एक ऐसी कला है या एक ऐसा लिखित माध्यम है जिसकी सहायता से दो व्यक्ति अपने आपसी विचारों, भावों इत्यादि का सहज रूप से लिखित माध्यम के तहत संवाद या आदान प्रदान करते हैं।
सरल भाषा में पत्र अपने दिल की भावनाओं और विचारों को लिखने का एक सहज और सरल माध्यम है! जिसमें हम मन की भावनाओं को वाणी देने का प्रयास करते हैं! पत्र लेखन की कला प्राचीन काल से चलती आ रही है।
परंतु वर्तमान में अब इसकी जगह कई सारे मैसेजेस एप्स जैसे whatsapp, messenger, facebook आदि ने ले ली है! इसलिए अब यह केवल कुछ सीमित क्षेत्रों में ही प्रयोग किया जाता है।
पत्रों के प्रकार Types of Letter format in Hindi –
पत्रों के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं-
1. औपचारिक पत्र Formal letter
इसके अंतर्गत प्रार्थना पत्र शिकायत पत्र निवेदन पत्र आते हैं।
2. अनौपचारिक पत्र Informal Letter
इसके अंतर्गत धन्यवाद पत्र आते हैं।
1. औपचारिक पत्र Formal letter –
इस पत्र लेखन में प्रार्थना पत्र, कार्यालय पत्र, आवेदन पत्र, व्यवसाय पत्र, शिकायत पत्र, समाचार पत्र के संपादक के नाम लिखे जाने वाले पत्र आते हैं इन पत्रों में कोई निजी संबंध नहीं होता है।
औपचारिक पत्र लिखने के लिए प्रारूप (Formal letter format in hindi)–
- औपचारिक पत्र में पृष्ठ के सबसे ऊपर बाई और “सेवा में” शब्द लिखकर पत्र प्राप्तकर्ता का नाम, प्राप्तकर्ता के अनुसार उचित संबोधन जैसे श्रीमान मान्यवर पूजनीय, आदरणीय का प्रयोग किया जाता है।
- इसके बाद पत्र में पाने वाले का पता लिखा जाता है।
- इसके उपरांत जिस उद्देश्य से आप पत्र लिख रहे हैं उसे विषय में लिखा जाता है।
- अब दोबारा से संबोधन शब्द का प्रयोग किया जाता है, जैसे श्रीमान जी।
- संबोधन सर्वे लिखने के बाद आपको अपने मुख्य विषय का संक्षिप्त वर्णन करना है।
- इसके बाद पत्र के अंत में आपका आज्ञाकारी शिष्य/शिष्या भवदीय इत्यादि शब्द लिखे जाते हैं।
- अब पत्र भेजने वाले का “नाम/कंपनी का नाम, पता, दिनांक लिखते है।
- और पत्र के सबसे अंत में पत्र लिखने वाले के हस्ताक्षर किए जाते है।
औपचारिक पत्र लेखन हेतु आवश्यक बातें –
- औपचारिक पत्र लिखने के कुछ नियम होते हैं। इन्हें नियमों के अनुसार ही लिखना पड़ता है।
- औपचारिक पत्रों में सम्मानजनक भाषा का विशेष ध्यान रखा जाता है, इनमें कुशल, मंगल इत्यादि शब्दों का उल्लेख नहीं किया जाता है।
- पत्र की शुरुआत और उसका अंत रोचक होने चाहिए।
- पत्र की भाषा सरल लेख स्पष्ट व सुंदर होना चाहिए।
- पत्र में जो भी बातें लिखी जाए वह गागर में सागर भरने के समान होनी चाहिए अर्थात कम शब्दों में ज्यादा कहना।
- पत्र संक्षिप्त रूप में लिखा होना चाहिए।
2. अनौपचारिक पत्र Informal Letter –
व्यक्तिगत और निजी संबंधों को लिखे जाने वाले पत्रों को अनौपचारिक पत्र कहते हैं। इस पत्र में रिश्तेदारों व परिवारजनों के व्यक्तिगत सुख दुख को लिखा जाता है। जैसे शुभकामना पत्र, निवेदन पत्र, सहानुभूति पत्र, निमंत्रण पत्र, क्षमा याचना पत्र, बधाई पत्र, शुभकामना पत्र और सांत्वना पत्र इत्यादि।
औपचारिक पत्र में निजी संबंधों के प्रयोग के साथ साथ सहज व आसान भाषा का प्रयोग किया जाता है जबकि अनौपचारिक पत्र में शब्दावली और संबोधन थोड़ी अलग होती है।
औपचारिक पत्रों को स्पष्ट भाषा व कम शब्दों में लिखा जाता है क्योंकि यह निजी ना होकर किसी अधिकारी या ऑफिस के लिए होते हैं। जबकि अनौपचारिक पत्र अपने किसी संबंधी के लिए लिखें जाते हैं तो इनकी शब्द सीमा थोड़ी बड़ी भी हो सकती है।
अनौपचारिक पत्र के लिए प्रारूप (Informal letter format in hindi) –
- पता- बाई तरफ सबसे ऊपर पत्र भेजने का पता या परीक्षा भवन।
- तिथि या दिनांक- जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है।
- भेजने वाले का नाम ना लिखकर संबोधन शब्द- बड़ों के लिए आदरणीय या पूजनीय और छोटों के लिए स्नेह या प्यार इन्हें प्रयोग करते हैं।
- विषय- पत्र लिखने का कारण ही विषय वस्तु कहलाता है।
- इसके बाद पत्र की मुख्य बातें दो अनुच्छेदों में लिखी जाती है और बात समाप्त होने पर धन्यवाद लिखा जाता है।
- पत्र की समाप्ति- संबंधों के अनुसार पत्र की समाप्ति आपका प्रिय, तुम्हारा भाई इत्यादि शब्दों से करके पत्रक लेखक के हस्ताक्षर किए जाते हैं।
पत्र लेखन में ध्यान रखने योग्य बातें –
- पत्र को लिखते समय सरल भाषा और स्पष्ट भावों का प्रयोग करना चाहिए प्राप्त करने वाले को आपकी भाषा आसानी से समझ आ जाए।
- पत्र में अनावश्यक बातों का विस्तार नहीं होना चाहिए।
- अपनी बात को छोटे छोटे शब्दों और बच्चों के रूप में प्रयोग करना चाहिए।
- अलग-अलग पत्रों को उसके पत्र फॉर्मेट के अनुसार ही लिखना चाहिए।
- पत्र में हिंदी वाक्यों से संबंधित अशुद्धियां नहीं होनी चाहिए।
- पत्र लेखन में द्विअर्थी और संदिग्ध बातों से बचना चाहिए।
उपसंहार Conclusion –
हिंदी व्याकरण की आज की पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। इसके लिए Hindify.org परिवार सदैव आपका आभारी रहेगा। हम आशा करते हैं की जिस जानकारी की आपको तलाश थी वो आपको यहाँ से पूरणतय प्राप्त हो गयी होगी। पाठकों अगर आप पोस्ट पर कोई टिपणी या सुझाव करना चाहते हैं तो कमेंट करके जरूर बताएं।