209+ Trees Name in Hindi | पेड़ों के नाम हिन्दी में (2023)

Trees name in hindi : दोस्तों आज की पोस्ट में बताने जा रहे हैं। दुनिया में पाए जाने वाले उपयोगी पेड़ पौधों के नाम और उनके फायदों के बारे में जिसे अधिकांश लोग नहीं जानते हैं। तो दोस्तों सुप्रसिद्ध पेड़ पौधों के बारे में इस रोचक जानकारी को अंत तक जरूर पढ़े। यह जानकारी आपके बहुत काम आने वाली है।

trees name in hindi

Page Contents

पेड़ों के नाम हिन्दी में Trees name in hindi –

आम का पेड़ Mango tree
नारियल का पेड़ Coconut tree
कीकर, बबूल Acacia tree
अमरूद का पेड़ Guava tree
पीपल का पेड़ Peepal tree
सेब का पेड़Apple tree
केले का पेड़Banana tree
धान का पौधा Paddy plant
चन्दन का पेड़ Sandal tree
इमली का पेड़ Tamarind Tree
सुपारी का पेड़ Betel nut tree
खजूर का पेड़ palm tree
चीकू वृक्ष Sapodilla tree
कटहल का पेड़Jack tree
देवदार वृक्षCedar tree
बरगद का पेड़ Banyan tree
शंकुवृक्षConifer tree
रूद्राक्ष का पेड़ Eleocarpus tree
नीम का पेड़ Neem tree
बांस का पेड़ Bamboo tree
सागवान का पेड़ Teak tree
साल का पेड़ Sal tree
करी का पेड़ Curry tree
नागफनी Cactus
अंजीर का पेड़ Fig tree

नीम का पेड़ Neem tree –

नीम एक तेजी से बढ़ने वाला पर्णपाती पेड़ है। जो 15.20 मी लगभग 50.65 फुट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है।

इसकी शाखाओं का प्रसार व्यापक होता है। इसकी छाल कठोर विदरित (दरारयुक्तद्ध ) या शल्कीय होती है। और इसका रंग सफेद, धूसर या लाल-भूरा भी हो सकता है।

देवदार का पेड़ Fir tree –

देवदार के पेड़ (Deodar Tree) का इस्तेमाल सिर, कान और गले का दर्द, जोड़ो का दर्द, डायबिटीज को कंट्रोल करने जैसे बहुत सारे बीमारियों में औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता है।

चीड़ का पेड़ Pine tree –

चीड़ के पेड़ की ऊंचाई 30-35 मीटर तक होती है। इसका तना गहरे भूरे रंग का होता है। 3 के गुच्छे में इसके पत्ते होते हैं। जिनकी लम्बाई 20-30 सेमी होती है।

मार्च-नवंबर के बीच इसमें फल और फूल लगते हैं। चीड़ का उपयोग कान के रोगों से बचने, मुँह के छालों को ठीक करने, पेट के कीड़ों को नस्ट करने, घाव को जल्दी भरने आदि बिमारियों से राहत पाने के लिए किया जाता है।

गोंद का पेड Gum tree –

प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर गोंद का सेवन कैंसर से लेकर दिल की बीमारियों को दूर करता है।

किसी पेड़ के तने को चीरा लगाने पर उसमे से जो स्त्राव निकलता है वह सूखने पर भूरा और कड़ा हो जाता है उसे गोंद कहते हैं। यह शीतल और पौष्टिक होता है। उसमें उस पेड़ के ही औषधीय गुण भी होते हैं।

बेल का पेड़ Bel tree –

हिंदू धर्म में भगवान शिव-पार्वती की पूजा के लिए बेल का उपयोग किया जाता है। बेल कई रोगों की रोकथाम कर सकता है तो कई रोगों को ठीक करने के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है।

आप कफ-वात, विकार, बदहजमी, दस्त, मूत्र रोग, पेचिश, डायबिटीज, ल्यूकोरिया में बेल के फायदे ले सकते हैं। इसके अलावा पेट दर्द, ह्रदय विकार, पीलिया, बुखरा,आंखों के रोग आदि में भी बेल के सेवन से लाभ मिलता है।

बांस का पेड़ Bamboo tree –

बांस कफ और पित्त कम करने में सहायता करता है। बांस कुष्ठ व्रण या अल्सर, सूजन, मूत्रकृच्छ्र या मूत्र संबंधी बीमारी, डायबिटीज, अर्श या पाइलस तथा जलन कम करने में मददगार होता है।

पीपल का पेड़ Ficus religiosa –

पद्मपुराण के अनुसार पीपल को प्रणाम करने और उसकी परिक्रमा करने से आयु लंबी होती है। जो व्यक्ति इस वृक्ष को पानी देता है वह सभी पापों से छुटकारा पाकर स्वर्ग को जाता है पीपल में पितरों का वास माना गया है।

इसमें सब तीर्थों का निवास भी होता है इसीलिए मुंडन आदि संस्कार पीपल के पेड़ के नीचे करवाने का प्रचलन है। पीपल के पत्तों को छांव में सुखाकर मिश्री के साथ इसका काढ़ा बनाकर पीने से काफी लाभ होता है।

इससे जुकाम जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है त्वचा का रंग निखारने के लिए भी पीपल की छाल का लेप या इसके पत्तों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा यह त्वचा की झुर्रियों को कम करने में भी मदद करता है।

सनौबर/ भोजपत्र का पेड़ Birch tree –

भोजपत्र, भोज नाम के वृक्ष की छाल का नाम है। पत्ते का नहीं। इस वृक्ष की छाल सर्दियों में पतली-पतली परतों के रूप में निकलती हैं जिन्हे मुख्य रूप से कागज की तरह इस्तेमाल किया जाता था।

भोज वृक्ष हिमालय में 4,500 मीटर तक की ऊंचाई पर पाया जाता है। यह एक ठंडे वातावरण में उगने वाला पतझड़ी वृक्ष है जो लगभग 20 मीटर तक ऊंचा हो सकता है।

शंकुवृक्ष/ झाऊ का पेड़ Conifer tree –

यह एक सीधे तने वाला ऊँचा शंकुधारी पेड़ है। जिसके पत्ते लंबे और कुछ गोलाई लिये होते हैं तथा जिसकी लकड़ी मजबूत किन्तु हल्की और सुगंधित होती है।

यह सूजन को कम करता है, सर्दी से उत्पन्न होने वाली पीड़ा को शांत करता है, पथरी को तोड़ता है और इसकी लकड़ी के गुनगुने काढ़े में बैठने से गुदा के सभी प्रकार के घाव नष्ट हो जाते है।

आबनूस का पेड़ Ebony tree –

इसकी लकड़ी का उपयोग इमारती सामान आदि बनाने में किया जाता है। औषधि के रूप में इसकी छाल, फल, बीज तथा पुष्प का उपयोग किया जाता है।

इसकी छाल का लेप फोड़ों पर किया जाता है तथा रक्त स्राव होने पर इसका चूर्ण छिड़कने से रक्त बंद हो जाता है।

इसके अतिरिक्त कुष्ठ,विषमज्वर, सर्पदंश और चमड़ा रंगने के काम में भी इसकी छाल का उपयोग किया जाता है।

बलूत का पेड़ Oak tree –

इसकी पत्तियां बहुत छोटी होती हैं। इस पेड़ में कांटे होते हैं। गर्मी के मौसम में बबूल के पेड़ में पीले रंग के गोलाकार गुच्छों में फूल खिलते हैं। ठंड के मौसम में फलियां आती हैं।

बबूल की छाल और गोंद का व्यवसाय किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार बबूल एक बहुत ही उत्तम औषधि है। इसलिए अगर आप बीमारियों में बबूल का इस्तेमाल करते हैं निःसंदेह आपको बहुत फायदा मिल सकता है।

अशोक का पेड़ Ashok tree –

आयुर्वेद में अशोक वृक्ष को हेमपुष्प या ताम्रपल्लव कहा जाता है। वैसे तो अशोक वृक्ष के विभिन्न अंग यानि फूल पत्ता आदि को महिलाओं के सेहत संबंधी समस्याओं के लिए फायदेमंद माना जाता है।

लेकिन इसके पौष्टिक और उपचारत्मक गुणों के कारण बहुत सारे बीमारियों के लिए आयुर्वेद में औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता है।

चंदन का पेड़ Sandalwood tree –

यह पेड़ मुख्यत: कर्नाटक के जंगलों में मिलता है भारत के 600 से लेकर 900 मीटर तक कुछ ऊँचे स्थल और मलयद्वीप इसके मूल स्थान हैं।

इस पेड़ की ऊँचाई 18 से लेकर 20 मीटर तक होती है। इसकी पूर्ण परिपक्वता में 8 से लेकर 12वर्ष तक का समय लगता है। इसके लिये ढालवाँ जमीन, जल सोखनेवाली उपजाऊ चिकली मिट्टी तथा 500 से लेकर 625 मिमी तक वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।

इसकी लकड़ी का उपयोग मूर्तिकला तथा साजसज्जा के सामान बनाने में और अन्य उत्पादनों का अगरबत्ती, हवन सामग्री तथा सौगंधिक तेल के निर्माण में होता है। आसवन द्वारा सुगंधित तेल निकाला जाता है|

रक्तचंदन/ लालचंदन का पेड़ Coralwood tree –

इसकी शाखाएँ धूसर रंग की होती हैं। इसकी छाल 1-1.5 सेमी मोटी भूरे रंग की तथा क्षत होने पर गहरे रक्तवर्णी निर्यास-युक्त होती है।

इसकी अन्तकाष्ठ गहरे रक्तवर्ण या गहरे-बैंगनी वर्ण की होती है। इसके फूल 2 सेमी लम्बे, सुगन्धित, लगभग 5 मिमी लम्बे पुष्पवृंत पर लगे होते हैं।

इसकी फली 3-8 सेमी व्यास की होती है। बीज संख्या में 1.2 वृक्काकार,1-2 सेमी लम्बे, रक्ताभ भूरे रंग के, चिकने तथा चर्मिल होते हैं। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल जनवरी से मई तक होता है।

शीशम का पेड़ Shisham tree –

शीशम की लकड़ी बहुत मजबूत मानी जाती है। आपके घर में भी शीशम की लड़की के कई फर्नीचर बने हुए होंगे। अधिकांशतः शीशम का उपयोग उसकी मजबूत लकड़ी के लिए ही किया जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार शीशम को औषधि के रूप में इस्तेमाल में लाया जाता है और शीशम से लाभ लेकर कई रोगों का इलाज किया जाता है।

सागौन, सागवान का पेड़ Teak tree –

इसके पत्ते बड़े होते हैं, इसके पत्तों का रस खून की तरह लाल होता हैइसकी लकड़ी पानी में रह कर भी सिकुडती नहीं है। अर्श, वायु, पित्त, अतिसार, कुष्ठ, प्रमेह कफ आदि में उपयोगी होता है।

आलूबुख़ारे का पेड़ Plum tree –

आलूबुखारे में मौजूद विटामिन सी आपकी आंखों और त्वचा को स्वस्थ रखने में सहायक है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है

इसके इलावा इसमें विटामिन-के एवं बी 6 भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह रक्त का थक्का बनने से रोकता है जिससे ब्लडप्रेशर और हृदय रोगों की संभावना कम होती है इसके साथ ही अल्जाइमर के खतरे को कम करता है।

पार्श्वपिप्पल / मैगनोलिया का पेड़ Portia tree –

चम्पा के वृक्ष बड़े और बहुत ही सुन्दर होते हैं। चम्पा के फूल पीले रंग के होते हैं जो बहुत ही सुगन्धित होते हैं। यह एक जड़ी-बूटी भी है। आयुर्वेद के अनुसार चम्पा के औषधीय गुण से सिर दर्द, कान दर्द, आंखों की बीमारियों में फायदा सकते हैं।

मूत्र रोग, पथरी या बुखार होने पर भी चम्पा के औषधीय गुण से लाभ मिलता है। इसके अलावा घाव, खांसी, सफेद दाग आदि में चम्पा के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं।

नागलिंगम का पेड़ Cannonball tree –

इसे तोप के गोलों वाला वृक्ष कैनन बॉल ट्री कहा जाता है क्योंकि इसके फल तोप के गोलों जैसे दिखाई देते हैं।

कैनन बॉल का वानस्पतिक नाम कुरुपिटा ग्वायनेन्सिस (Couroupita guianensis) है और यह पौधों के लेसीथिडेसी परिवार का सदस्य है। अपने विशेष फलों के कारण कैनन बॉल वृक्ष के नाम से प्रसिद्ध यह वृक्ष फूलों या फलों को धारण करने पर किसी को भी आकर्षित कर लेता है।

साल का पेड़ Sal tree –

इसके पौधे से एक प्रकार का पारदर्शी तथा स्वच्छ निर्यास मिलता है जिसे राल कहते हैं। साल कफ और पित्त को कम करने वाला, घाव को ठीक करने वाला, दर्दनिवारक, योनि संबंधी बीमारियों में फायदेमंद और मोटापा कम करने में सहायक होता है।

नारियल का पेड़ Coconut palm tree-

नारियल का पेड़ इतना फायदेमंद होता है कि इसके पेड़ का हर भाग उपयोगी होता है। इसके पेड़ की लकड़ी का उपयोग कई प्रकार के फर्नीचर, नावें, कागज़, मकान आदि बनाने में होता है।

इसके पत्तों का उपयोग छतों को ढकने के लिए किया जाता है। नारियल का तेल खाना बनाने में उपयोग किया जाता है।

कड़ी पत्ता Curry leaves tree –

कड़ी पत्ते को चबाने से वजन कम करने में मदद मिलती है। बेहतर पाचन, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना, बेहतर कोलेस्ट्रॉल का स्तर इसमें सपोर्ट करता है।

कड़ी पत्ते में ब्लड कोलेस्ट्रॉल कम करने का गुण होता है। इससे दिल की बीमारियों से दूर रह सकते हैं।

गुलाबी सिरिस का पेड़ Rain tree –

शिरीष एक बहुत ही उत्तम औषधि है और शिरीष के फायदे से रोगों का इलाज किया जाता है। आयुर्वेद में यह बताया गया है कि जोड़ों के दर्द, पेट के कीड़े, वात-पित्त-कफ दोष के इलाज में शिरीष से लाभ मिलता है।

रुद्राक्ष का पेड़ Rudraksh tree –

विद्वानों का कथन है कि रुद्राक्ष की माला धारण करने से मनुष्य के शरीर के प्राण तत्वों का नियमन होता है तथा कई प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक विकारों से रक्षा होती है।

इसकी माला को पहनने से हृदयविकार तथा रक्तचाप आदि विकारों में लाभ होता है। इसका वृक्ष लगभग 18.20 मी तक ऊचाँ होता है।

ताड़ी का पेड़ Palmyra tree –

इसका बीज मधुर, शीतल, मूत्र को बढ़ाने वाला तथा वातपित्त को बढ़ाने में सहायक होता है। ताड़ी (ताड़ का ताजा रस) वीर्य और श्लेष्मा को बढ़ाने वाला, अत्यंत मद उत्पन्न करने वाली, पुरानी होने पर खट्टी, पित्तवर्धक तथा वातशामक होती है।

जंगली खजूर का पेड़ Wild date palm tree –

खजूर में पोषक तत्वों का इतना भंडार है कि इसको वंडर फ्रूट भी मान सकते हैं। आयरन, मिनरल, कैल्शियम, अमीनो एसिड, फॉस्फोरस और विटामिन्स से भरपूर खजूर आपकी सेहत के साथ खूबसूरती भी निखारेगा, ग्लूकोज और फ्रक्टोज का खजाना खजूर मधुमेह में सहायक होने के साथ ही इम्यून पावर को भी बूस्ट करता है इसमें कोलेस्ट्राेल नहीं होता है।

खैर का पेड़ Acacia catechu tree –

खदिर के पेड़ की छाल (khair tree) का काढ़ा बनाकर गरारा करने से भी छाले और सूजन कम होते हैं|

बकुल का पेड़ Bullet wood tree –

बकुल चूर्ण से दांतों का मर्दन करने से दंतरोग, दंतमूलक्षय, चलदंत आदि व्याधियों में लाभ होता है। बकुल के 1-2 फलों को नियमित रूप से चबाने से भी दांत मजबूत हो जाते हैं। बकुल छाल चूर्ण का मंजन करने से दांत चट्टान की तरह मजबूत हो जाते हैं।

मेस्वाक / पिलु का पेड़ Toothbrush tree –

इसका प्रचलन मुस्लिम देशों में बहुत अधिक है।मिस्वाक की लकड़ी में नमक और खास क़िस्म का रेजिन पाया है जो दातों में चमक पैदा करता है।मिस्वाक की दातून करने से इसकी एक तह दातों पर जम जाती है तो कीड़े आदि से दांतों की सुरक्षा करती है।

रोहेड़ा का पेड़ Desert teak tree –

रोहिड़ा या टेकोमेला उण्डुलता इसका वानस्पतिक नाम Tecomella undulata है। राजस्थान का राजकीय पुष्प 1983 में घोषित है। यह मुख्यतः राजस्थान के थार मरुस्थल और पाकिस्तान मे पाया जाता है।

रोहिड़ा का वृक्ष राजस्थान के शेखावटी व मारवाड़ अंचल में इमारती लकड़ी का मुख्य स्रोत है। यह मारवाड़ टीक के नाम से भी जाना जाता है। शुष्क व अर्ध शुष्क क्षेत्रों मंं पाया जाने वाला यह वृक्ष पतझड़ी प्रकार का है। रेत के धोरों के स्थिरीकरण के लिए यह वृक्ष बहुत उपयोगी है।

जुन का पेड़ Arjuna tree –

अर्जुन की छाल से हृदय रोग, क्षय, पित्त, कफ, सर्दी, खांसी, अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल और मोटापे जैसी बीमारी को दूर करने में मदद मिलती है। इसके अलावा यह महिलाओं के लिए भी काफी उपयोगी है। खूबसूरती बढ़ाने वाली क्रीम के अलावा स्त्री रोगों में भी यह बहुत काम की औषधि है।

गुलमोहर का पेड़ Delonix regia tree –

गुलमोहर के फूल एवं फलियाँ मधुर, खाने की इच्छा बढ़ाने वाला, मृदुकारी तथा पोषक होते हैं। सामान्य कमजोरी, प्यास, अतिसार या दस्त, खून की कमी, नाक से खून बहने की बीमारी, सफेद पानी, पीलिया, अरुचि एवं मधुमेह में लाभप्रद होता है। पीला गुलमोहर ठंडा, स्निग्ध तथा तीनों दोषो को कम करने वाला होता है।

कदंब का पेड़ Kadamba tree –

शरीर की दुर्बलता दूर करने में फायदेमंद कदम्ब शरीर की दुर्बलता को दूर करने में कदंब सहायक हो सकता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार वात का प्रकोप भी दुर्बलता का कारण होता है। कदंब में वात को कम करने का गुण होता है।

पलास का पेड़ Pallas pine tree –

आयुर्वेदिक पौधा पलाश सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसका उपयोग कई रोगों को जड़ से दूर करने के लिए किया जा सकता है। पलाश का पेड़ भारतभर में पाया जाता है। इसके फूलों को टेसू के फूल के नाम से भी जाना जाता है।

पौधे के विभिन्न भागों जैसे फूल,छाल, पत्ती और बीज का उपयोग औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार यह चर्म रोग, ज्वर, मूत्रावरोध, सिरोसिस, गर्भाधान रोकने और नेत्र ज्योति बढ़ाने सहित कई बीमारियों में लाभदायक है। इसके पत्ते दोना और पत्तल बनाने के काम भी आते हैं।

शम्मी का पेड़ Shami tree –

ऐसी मान्यता है कि घर में शमी का पेड़ लगाने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही यह वृक्ष शनि के कोप से भी बचाता है। शमी का वृक्ष घर के ईशान कोण पूर्वोत्तरद्ध में लगाना लाभकारी माना गया है इसमें प्राकृतिक तौर पर अग्नि तत्व पाया जाता है।

नीलगिरी का पेड़ Eucalyptus tree –

नीलगिरी के तेल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा के हर संक्रमण को दूर करते हैं। यह आपको मुलायम एवं दागरहित त्वचा प्रदान करता है।

यह तेल लगाने से जलन में आराम मिलता है। यह मांसपेशियों का दर्द दूर करने के साथ ही त्वचा को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से सुरक्षा प्रदान करता है।

सेमल का पेड़ Semal tree –

सेमल एक औषधीय पेड़ है और इसे साइलेंट डॉक्टर भी कहा जाता है। इस पेड़ के हर हिस्से को विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग अस्थमा, दस्त, घाव, ल्‍यूकोरिया, एनीमिया और त्वचा की समस्याओं के इलाज में किया जाता है।

भारतीय महोगनी का पेड़ mahogany tree –

महोगनी वृक्ष की लकड़ी चौकड़ा, फर्नीचर और लकड़ी के अन्य निर्माण के लिए काफी बेशकीमती होती है इसके पत्तों का उपयोग मुख्य रूप से कैंसर, ब्लडप्रेशर, अस्थमा, सर्दी और मधुमेह सहित कई प्रकार के रोगों में होता है

इसका पौधा पांच वर्षों में एक बार बीज देता है इसके एक पौधे से पांच किलों तक बीज प्राप्त किए जा सकते है

विभितकी का पेड़ Belleric myrobalan –

बहेड़ा वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को दूर करता है, लेकिन इसका मुख्य प्रयोग कफ-प्रधान विकारों में होता है। यह आँखों के लिए हितकारी, बालों के लिए पोषक होता है।

लता बेल Creeper tree-

मनी प्लांट लताओं वाला पौधा है इसका हरा रंग आंखों को सुकून देता है। ऐसी मान्यता है कि इस प्लांट को लगाने से गुड लक बढ़ता है और घर परिवार में धन एवं समृद्धि आती है।

नागफनी का पौधा Cactus plant –

नागफनी एक कैक्टस है जो सूखे तथा बंजर स्थानों पर उगता है। इसका तना पत्ते के सामान लेकिन गूदेदार होता है। इसकी पत्तियां काँटों के रूप में बदल जाती हैं। यह 2.4 मीटर तक ऊँचा, सीधा, अनेक शाखाओं वाला मांसल कांटों से युक्त और कई वर्ष तक जीवित रहने वाला है।

सन पटसन का पौधा Flax plant –

पटसन, पाट या पटुआ एक द्विबीजपत्री रेशेदार पौधा है। इसका तना पतला और बेलनाकार होता है।

इसके रेशे बोरे, दरी, तम्बू, तिरपाल, टाट, रस्सियाँ, निम्नकोटि के कपड़े तथा कागज बनाने के काम आता है।

जूट/पटसन का पौधा Jute plant –

जूट, पटसन और इसी प्रकार के पौधों के रेशे हैं। इसके रेशे बोरे, दरी, तम्बू, तिरपाल, टाट, रस्सियाँ, निम्नकोटि के कपड़े तथा कागज बनाने के काम आता है।

तुलसी का पौधा Holy basil plant –

भारतीय संस्कृति में तुलसी को पूजनीय माना जाता है धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ तुलसी औषधीय गुणों से भी भरपूर है।

तुलसी ऐसी औषधि है जो ज्यादातर बीमारियों में काम आती है। इसका उपयोग सर्दी-जुकाम, खॉसी, दंत रोग और श्वास सम्बंधी रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है।

रबर का पौधा Rubber plant –

रबर वृक्ष ,जिसे फ़ाइक्स इलास्टिका, रबर फ़िग, रबर झाड़ी, रबर के पेड़,या भारतीय रबर झाड़ी, भारतीय, रबर के पेड़ भी कहते हैं, अंजीर की एक प्रजाति है

जो पूर्वी भारत, नेपाल,भूटान, बर्मा, चीन युन्नान, मलेशियाऔर इंडोनेशिया का निवासी है। ये अब श्रीलंका, वेस्ट इंडीज, और अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा में भी देशीकृत हो चुका है।

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फल वालें पेड़ो के नाम Fruits tree name in hindi –

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केले का पेड़ Banana tree –

केले के पौधे मुसा के परिवार के हैं। मुख्य रूप से फल के लिए इसकी खेती की जाती है और कुछ हद तक रेशों के उत्पादन और सजावटी पौधे के रूप में भी इसकी खेती की जाती है।

पपीता का पेड़ Papaya tree –

पपीता एक फल है। पपीता का वैज्ञानिक नाम कॅरिका पपया (carica papaya) है। इसकी फेमिली केरीकेसी (Caricaceae) है। इसका औषधीय उपयोग होता है। पपीता स्वादिष्ट तो होता ही है इसके अलावा स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।

सहज पाचन योग्य है। पपीता भूख और शक्ति बढ़ाता है। यह प्लीहा,यकृत को रोगमुक्त रखता और पीलिया जैसे रोगाें से मुक्ती देता है। कच्ची अवस्था में यह हरे रंग का होता है और पकने पर पीले रंग का हो जाता है।

सेब का पेड़ Apple tree –

सेब (Apple Tree) में एंटी ऑक्सीडेंट, फाइबर, विटामिन-सी और विटामिन-बी पाया जाता है। इसके नियमित उपयोग से रात को कम दिखाई देने की परेशानी में लाभ होता है।

यही नहीं, सेब आंखों की अन्य परेशानियां जैसे मोतियाबिंद, ग्लूकोमा आदि से भी बचाव करता है। सेब को पीसकर, पकाकर आँखों में बांधने से आँखों की बीमारियां दूर होती हैं।

अमरुद का पेड़ Gauva tree –

अमरूद (Amrud) भारत में मिलने वाला एक साधारण फल है। कुछ पाश्चात्य विद्वानों का कहना है कि इसे अमेरिका से यहाँ पुर्तगीज लोगों द्वारा लाया गया है ।

आँवले का पेड़ Emblica tree –

आँवला एक फल देने वाला वृक्ष है। यह करीब 20 फीट से 25 फुट तक लंबा झारीय पौधा होता है। यह एशिया के अलावा यूरोप और अफ्रीका में भी पाया जाता है। हिमालयी क्षेत्र और प्राद्वीपीय भारत में आंवला के पौधे बहुतायत मिलते हैं।

इसके फूल घंटे की तरह होते हैं। इसके फल सामान्यरूप से छोटे होते हैं,लेकिन प्रसंस्कृत पौधे में थोड़े बड़े फल लगते हैं। इसके फल हरे, चिकने और गुदेदार होते हैं। स्वाद में इनके फल कसाय होते हैं।

अंगूर की बेल Grape vine creeper –

अंगूर सदाबहार पौधे की एक झाड़ी है, जिसे इसकी घुमावदार बेलों और अनुगामी विकास से जाना जाता है। यह एक चढ़ने वाला पौधा है और सामान्य तौर पर पत्थरों या पेड़ों के तनों के ऊपर चढ़ता है।

बरगद, वट का पेड़ Banyan tree –

बरगद का वृक्ष विशाल तना और शाखाओं वाला होता है। यह बहुत ही छायादार और लंबे समय तक जीवित रहने वाला पेड़ है। इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि यह अकाल के समय भी जीवित रहता है।

मनुष्‍य बरगद के पेड़ के फल खाते हैं तो जानवर इसके पत्‍ते खाते हैं। बरगद को मूलतः बर या बट के नाम से ही जानते हैं, लेकिन इसके अलावा भी देश-विदेश में बरगद को कई नाम से जाना जाता है। बरगद का वानस्पतिक नाम फाइकस् बेंगालेन्सिस् है।

सुपारी का पेड़ Betel Nut tree –

सुपारी का वानस्पतिक नाम ऐरेका केटेचू है और यह एरिकेसी कुल से है। मुंह में छाले होने पर सुपारी तथा बड़ी इलायची की भस्म बना लें। उसमें शहद मिलाकर मुंह में लगाएं। इससे मुंह के छाले की परेशानी में लाभ होता है।

पेट में कीड़े होने पर 10.30 मिली सुपारी के फल का काढ़ा बना लें। इसका सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं। सुपारी खाना स्ट्रोक की समस्या में फ़ायदेमंद साबित हो सकता है।

आम का पेड़ Mango tree –

आम फलों का राजा कहलाता हैं। यह भारत का राष्ट्रीय फल भी हैं। आम का पेड़ सैकड़ों वर्षों तक खड़ा रहने वाला घनी छावदार तथा बड़ा पेड़ होता हैं।

भारत के लगभग सम्पूर्ण भूभाग में आम की खेती होती हैं। यदि आम के उपयुक्त वातावरण की उपलब्धता हो तो यह 60 फीट तक की उंचाई प्राप्त कर लेता हैं इसके फल यानि आम आकार में छोटे मगर बेहद रसीले व मीठे होते हैं।

इमली का पेड़ Tamarind tree –

इमली के पत्तों में उच्च एस्कॉर्बिक एसिड सामग्री होती है, जो एंटी-स्कर्वी विटामिन के रूप में कार्य करती है। एंटी-सेप्टिक गुणों से भरपूर –इमली के पत्ते एंटी-सेप्टिक गुणों से भरपूर होते हैं।

इमली के पत्तों का रस घावों को जल्दी ठीक करने की क्षमता रखते हैं। इनके पत्तों का रस हर तरह के संक्रमण को रोकने में कारगर है।

बेर का पेड़ Jujube tree –

बदर जड़ी बूटी के बारे में शायद कम ही लोगों को पता है। लेकिन बदर के गुणों के आधार पर आयुर्वेद में इसको कई तरह के बीमारियों के लिए औषधि के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

बदर को बेर भी कहते हैं। आयुर्वेद में बदर या बेर सिरदर्द, नकसीर, मुँह के छाले, दस्त,उल्टी, पाइल्स, बवासीर जैसे कई बीमारियां ऐसी है जिसके लिए बदर के पत्ते फल और बीज का इस्तेमाल किया जाता है।

नारियल का पेड़ Coconut palm tree –

फर्नीचर, नावें, कागज़, मकान आदि बनाने में होता है। इसके पत्तों का उपयोग छतों को ढकने के लिए किया जाता है। नारियल का तेल खाना बनाने में उपयोग किया जाता है।

जामुन का पेड़ Java plum tree –

इसे विभिन्न घरेलू नामों जैसे जामुन, राजमन, काला जामुन, जमाली, ब्लैकबेरी आदि के नाम से जाना जाता है। प्रकृति में यह अम्लीय और कसैला होता है और स्वाद में मीठा होता है। अम्लीय प्रकृति के कारण सामान्यत इसे नमक के साथ खाया जाता है।

जामुन का फल 70 प्रतिशत खाने योग्य होता है। इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज दो मुख्य स्रोत होते हैं। फल में खनिजों की संख्या अधिक होती है। अन्य फलों की तुलना में यह कम कैलोरी प्रदान करता है।

एक मध्यम आकार का जामुन 3.4 कैलोरी देता है। इस फल के बीज में काबोहाइट्ररेट, प्रोटीन और कैल्शियम की अधिकता होती है। यह लोहा का बड़ा स्रोत है। प्रति 100 ग्राम में एक से दो मिग्रा आयरन होता है। इसमें विटामिन बी, कैरोटिन, मैग्नीशियम और फाइबर होते हैं।

कटहल का पेड़ Jackfruit tree –

कटहल बांग्लादेश और श्रीलंका का राष्ट्रीय फल है, जबकि भारतीय राज्यों केरल और तमिलनाडु में भी इसे राज्य फल का दर्जा दिया गया है। यह भारत की मूल उपज है, विशेषकर महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल राज्य में, जहां इसकी खेती 3000 से 6000 साल पहले से की जा रही है।

इसके फल बहुत बड़े-बड़े लम्बाई युक्त गोल होते हैं। उसके उपर कोमल कांटे होते हैं। फल लगभग २० किलो भार वाला होता है। कटहल के बीज बीज की मींगी वीर्यवर्धक, वात, पित्त तथा कफ नाशक होती है। मंदाग्नि रोग वालों को कटहल खाना छोड़ देना चाहिए।

(Source: NATURALEZA CON JUAN TAMARES)

निष्कर्ष Conclusion –

तो ये थी trees name in hindi के बारे में जानकारी आशा करते हैं की आपको ये जानकारी पसंद आई होगी। आगे भी ऐसी जानकारी के लिए हमसे जुड़े रहिए, पोस्ट पसंद आई हो तो लाइक ज़रूर करें। धन्यवाद!

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