Poem On Nature In Hindi | [29]+ प्रकृति पर कविता (2022)

poem on nature

poem on nature in hindi : दोस्तो आज हम आपके लिए में लाए हैं, प्रकृति पर अनमोल कविता जिन्हे आप सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते है! प्रकति के बिना हम सब का जीवन अधूरा है प्रकृति है तो हम है प्रकति एक माँ कि तरह हम सब की जीवन दायी है यह हमे शुद्व हवा पानी भोजन आदि अन्य वस्तुऐ उपलब्ध करवाती है

nature hindi kavita

Poem on nature in hindi सुनो प्रकृति की आकुल पुकार

सुनो, प्रकृति की आकुल पुकार,
कहती है यह, वृक्ष मत काटो।
छलनी हो रहा शरीर हमारा,
अब तो हमारा क्रंदन सुन लो।

धरा भी क्षण-क्षण कह रही,
वृक्ष प्राणों का है आधार।
बंजर से इस सूने तन पर,
वृक्ष धरती का है श्रृंगार ।

मत चलाओ शस्त्र वृक्ष पर,
मानो यह ईश्वर का अनुदान है।
इन पेड़ों से भूजल स्तर भी बढ़ेगा,
समस्त जीवन हेतु ये वरदान है।

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poem on prakriti in hindi

Prakriti par kavita धरती पर रहने वाले

हम इस धरती पर रहने वाले,
बोलो क्या-क्या करते हैं,
सब कुछ करते बर्बाद यहां,
और घमंड में रहते हैं।

बोलो बिना प्रकृति के,
क्या यहां पर तुम्हारा है,
जो तुम करते उपयोग यह पे,
क्या उस पर अधिकार हमारा है।

इतना मिलता हमें प्रकृति से,
क्या इसके लिए करते हैं,
सब कुछ लूट के करते बर्बाद,
न बात इतनी सी समझते हैं।

hindi kavita on nature

Poem on nature in hindi 10 lines एक दिन सुबह उठा मैं-

एक दिन सुबह उठा मैं,
लगा सोचने दुनिया के बारे में,
कैसे जीते हैं हम,
कैसे लगी रहती प्रकृति ये हमारे सहारे में।

मै टहल रहा थे सड़क पर,
और हवा की ठंडी झलक आयी,
सूरज अब भी निकलने को था,
चिड़ियों की आवाज़ कही दूर तलक आयी।

prakriti par kavita

Short poem on nature in hindi प्रकृति की लीला न्यारी

प्रकृति की लीला न्यारी,
कहीं बरसता पानी, बहती नदियां,
कहीं उफनता समंद्र है,
तो कहीं शांत सरोवर है।

प्रकृति का रूप अनोखा कभी,
कभी चलती साए-साए हवा,
तो कभी मौन हो जाती,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

कभी गगन नीला, लाल, पीला हो जाता है,
तो कभी काले-सफेद बादलों से घिर जाता है,
प्रकृति की लीला न्यारी है।

heart touching poem on nature in hindi

Hindi kavita on nature पशु-पक्षी, पेड़ और पौधे

पशु-पक्षी, पेड़ और पौधे,
प्रकृति के है अनुपम उपहार।
नहीं देते केवल जीवन ही हमको,
जीने की भी कला सिखाते।

फिर अपने जीवन को स्वयं हम,
क्यों विनाश की ओर अग्रसर कर,
अपने अस्तित्व को मिटा रहे है।
आखिर कब चेतेंगे हम ? तब
जब प्रकृति हो जाएगी शून्य विलीन।

और मिट जायेगा इस धरा से,
हम सबका अस्तित्व,
और हम हो जायेंगे जब अस्तित्व विहीन।

easy poem on nature in hindi

Poem on prakriti in hindi ये प्रकृति कुछ कहना चाहती है

ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
ये हवाओ की सरसराहट
ये पेड़ो पर फुदकते चिड़ियों की चहचहाहट
ये समुन्दर की लहरों का शोर
ये बारिश में नाचते सुंदर मोर
कुछ कहना चाहती है हमसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे !!

small poem on nature in hindi

Small poem on nature in hindi कलयुग में अपराध का

कलयुग में अपराध का
बढ़ा अब इतना प्रकोप
आज फिर से काँप उठी
देखो धरती माता की कोख !!

समय समय पर प्रकृति
देती रही कोई न कोई चोट
लालच में इतना अँधा हुआ
मानव को नही रहा कोई खौफ !!

short poem on nature in hindi

Nature hindi kavita कितना सुन्दर अपना संसार

कितना सुन्दर अपना संसार,
ऋतुओं की है यहां बहार,
मिलजुल कर सब रहते हैं
प्रकृति इसे हम कहते हैं।

सब जगह हरियाली छायी,
सूरज का वरदान है,
हम रहते हैं प्रकृति में और,
यही हमारी शान है।

प्रकृति से हमें मिलता है सब कुछ,
चाहे अन्न, हवा या जल हो ,
हमें बचाती हमें खिलाती,
प्रकृति पे ही सब अर्पण हो।

simple poem on nature in hindi

सुंदरता रूप इस धरा का
आँचल जिसका नीला आकाश
पर्वत जिसका ऊँचा मस्तक
उस पर चाँद सूरज की बिंदियों का ताज
नदियों-झरनो से छलकता यौवन
सतरंगी पुष्प-लताओं ने किया श्रृंगार
खेत-खलिहानों में लहलाती फसले
बिखराती मंद-मंद
हाँ, यही तो हैं,
इस प्रकृति का स्वछंद स्वरुप
प्रफुल्लित जीवन का निष्छल सार !!

poem on nature in hindi

Heart touching poem on nature in hindi आओ प्रकृति से प्रेम करें

आओ आओ प्रकृति से प्रेम करें,
भूमि मेरी माता है,
और पृथ्वी का मैं पुत्र हूं।

मैदान, झीलें, नदियां, पहाड़, समुंद्र,
सब मेरे भाई-बहन है,
इनकी रक्षा ही मेरा पहला धर्म है।

अब होगी अति तो हम ना सहन करेंगे,
खनन-हनन व पॉलीथिन को अब दूर करेंगे,
प्रकृति का अब हम ख्याल रखेंगे
आओ आओ प्रकृति से प्रेम करें।

Hindi poem for kids on natur पेड़ पर चली कुल्हाड़ी-

पेड़ पर चली कुल्हाड़ी धूप रही ना याद
मूल्य समय का जाना हमने खो देने के बाद।

खूब फसल खेतों से ले ली डाल डाल कर खाद
पैसों के लालच में कर दी उर्वरता बर्बाद।

दूर दूर तक बसी बस्तियाँ नगर हुए आबाद
बन्द हुआ अब तो जंगल से मानव का संवाद।

ताल तलैया सब सूखे हैं हुई नदी में गाद
पानी के कारण होते हैं हर दिन नए विवाद।

पशु पक्षी बेघर फिरते हैं कौन सुने फरियाद
कुदरत के दोहन ने सबके मन में भरा विषाद।

Easy poem on nature in hindi काली घटा छाई हैं

काली घटा छाई हैं
लेकर साथ अपने यह
ढेर सारी खुशियां लायी हैं
ठंडी ठंडी सी हवा यह
बहती कहती चली आ रही हैं

काली घटा छाई हैं
कोई आज बरसों बाद खुश हुआ
तो कोई आज खुसी से पकवान बना रहा
बच्चों की टोली यह
कभी छत तो कभी गलियों में
किलकारियां सीटी लगा रहे

काली घटा छाई हैं
जो गिरी धरती पर पहली बूँद
देख ईसको किसान मुस्कराया
संग जग भी झूम रहा
जब चली हवाएँ और तेज
आंधी का यह रूप ले रही
लगता ऐसा कोई क्रांति अब सुरु हो रही
छुपा जो झूट अमीरों का
कहीं गली में गढ़ा तो कहीं
बड़ी बड़ी ईमारत यूँ ड़ह रही
अंकुर जो भूमि में सोये हुए थे
महसूस इस वातावरण को
वो भी अब फूटने लगे

देख बगीचे का माली यह
खुसी से झूम रहा
और कहता काली घटा छाई हैं
साथ अपने यह ढेर सारी खुशियां लायी हैं।

Hindi poems on nature beauty आ गया वसंत देखो

है आ गया वसंत देखो,
कैसी बहार छायी है,
कैसे घूम रहे हैं भवरे,
फूलों पे खुशबू आयी है ।

कैसे प्रकृति में रंग भरा है,
कैसे पेड़ों पर हरियाली है,
कैसे बिखरा है चमक यहां पर,
कितनी सुंदर सूरज की लाली है ।

कैसे बच्चे खेल कूद में,
कैसे तितलियाँ मंडराती हैं,
कैसे सभी खुश दिख रहे,
कैसे हवा ये आती है।

सच है वसंत की अनुपम छटा,
एक जादू सी बिखेरे है,
मैं भी हिस्सा इस आनंद का,
ये सारे अनुभव मेरे हैं।

Prakriti par kavita hindi mein चाहे बहे हवा मतवाली

चाहे बहे हवा मतवाली
चाहे बहे हवा लू वाली

फूल हमेशा मुस्काता
पत्तों की गोदी में रहकर

फूल हमेशा मुस्काता
कांटो की नोकों को सहकर

फूल हमेशा मुस्काता
ऊपर रह डाली पर खिलकर

फूल हमेशा मुस्काता
नीचे टपक धूल में मिल कर

फूल हमेशा मुस्काता
रोना नहीं फूल को आता

फूल हमेशा मुस्काता
इसलिए वह सबको भाता
फूल हमेशा मुस्काता

Prakriti se sambandhit kavita प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है

प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है,
मार्ग वह हमें दिखाती है।

प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है।
नदी कहती है’ बहो, बहो

जहाँ हो, पड़े न वहाँ रहो।
जहाँ गंतव्य, वहाँ जाओ,

पूर्णता जीवन की पाओ।
विश्व गति ही तो जीवन है,

अगति तो मृत्यु कहाती है।
प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है।

शैल कहतें है, शिखर बनो,
उठो ऊँचे, तुम खूब तनो।

ठोस आधार तुम्हारा हो,
विशिष्टिकरण सहारा हो।

रहो तुम सदा उर्ध्वगामी,
उर्ध्वता पूर्ण बनाती है।

प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है।
वृक्ष कहते हैं खूब फलो,

दान के पथ पर सदा चलो।
सभी को दो शीतल छाया,

पुण्य है सदा काम आया।
विनय से सिद्धि सुशोभित है,

अकड़ किसकी टिक पाती है।
प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है।

यही कहते रवि शशि चमको,
प्राप्त कर उज्ज्वलता दमको।

अंधेरे से संग्राम करो,
न खाली बैठो, काम करो।

काम जो अच्छे कर जाते,
याद उनकी रह जाती है।
प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है।

(Source : Moople Tv – Hindi Nursery Rhymes and Kids Songs)

निष्कर्ष Conclusion-

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