
नमस्कार दोस्तों, आज की पोस्ट में आपका स्वागत है। आज हम beti bachao beti padhao essay in hindi में आपके लिए ले कर आए हैं, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध जो आपको बेहद पसंद आएंगे। जैसा की हम सभी जानते है की हमारे देश में बेटी को हमेशा से ही दूजा स्थान मिला है। पर यह आज कि बात नहीं है, प्राचीन काल से यह प्रथा चली आ रही हैं। इसीलिए इस विषय पर बात करना बहुत ज़रूरी हैं। आप हमारे इन निबंधो को स्कूल या कॉलेज में निबंध प्रतियोगिता में लिख सकतें है। और सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते हैं।
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Beti Bachao Beti Padhao Essay In Hindi – बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध

जैसा कि हम जानते है कि भारत देश एक कृषि प्रधान देश होने के साथ-साथ पुरुष प्रधान देश भी है। शुरुआत से ही लड़कियों को दबाने की सोच ही विकसित हुई है, जो समय के साथ धीरे-धीरे कम भी हुई है। अब हर जगह महिलाओं को समान अधिकार दिये गए है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एक अभियान नहीं अपितु लोगों के दिल में बसी इस छोटी सोच को मिटाना भी है।
प्रस्तावना
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी 2015 को पानीपत हरियाणा में हुयी थी। इसके साथ ही जिनके घर बेटी पैदा होती है वो परिवार पाँच पेड़ लगाने का संकल्प लें। बेटों के बराबर बेटियों को अधिकार मिले इसलिए इस अभियान की शुरुआत हुई।
यह भारत जैसे देश की सबसे बड़ी विडम्बना है जहाँ इस देश में देशवासी, देश को माँ का दर्ज़ा देते है वही यहाँ के निवासी बेटियों को अधिकार देने में चूक जाते है।
देशवासियों को यह याद दिलाना पड़ता है कि बेटे और बेटी में फर्क नहीं करना होता है, दोनों को समान अधिकार और सम्मान के साथ जीने की आजादी है। इसी सोच को हटाने और कन्याओं का भविष्य बनाने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत हुई।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान क्या है
देश में लगातार कन्या शिशु दर में गिरावट को संतुलित करने और उनका भविष्य सुरक्षित करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की गयी थी। स्त्री और पुरुष जीवन के दो पहलू है, दोनों को एक साथ चलना होगा तभी जीवन का मार्ग सरलतापूर्वक निकलेगा।
देश का प्रत्येक दंपति केवल लड़का पाने की इच्छा रखता है और इसी इच्छा के कारण देश में लिंगानुपात में भारी गिरावट आई। उसी गिरावट को एक सही दिशा में उछाल लाने के लिए ऐसी योजना या अभियान की शुरुआत करनी पड़ी।
निष्कर्ष
आदिकाल से जो लड़कियों के ऊपर अत्याचार हुये उनके पीछे का कारण अशिक्षा थी। अगर हमारे पूर्वज पढ़े-लिखे होते तो आज हमारी स्थिति कई गुना सुधरी हुयी होती। जब बेटियाँ पढ़ेगी-लिखेगी तो वो अपने अधिकारों के लिए खड़ी होगी, इसी आशा के साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत में की।
Beti Bachao Beti Padhao Per Nibandh – बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध हिंदी में

प्रस्तावना
पृथ्वी पर हर जीव जन्तु का अस्तित्व नर और मादा दोनों के समान भागीदारी के बिना संभव नहीं है। किसी भी देश के विकास के लिए पुरुष और महिला का समान रूप से योगदान रहना जरूरी है अन्यथा देश का विकास रुक जाता है।
देश के अधिकतर रहवासी अल्ट्रासाउंड के माध्यम से बच्चा होने से पहले ही लिंग परीक्षण करवा देते हैए अगर लड़की निकलती है तो उसे पैदा होने से पहले ही गर्भ में मरवा देते है। इन सब को रोकने के लिए ही देश के प्रधानमंत्री को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का जागरूकता अभियान शुरू करना पड़ा।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एक ऐसा जागरूकता वाला अभियान है, जिसका मुख्य उद्देश्य कन्या शिशु को बचाना और उनको शिक्षित करना है। इस अभियान का शुभारम्भ भारतीय सरकार के द्वारा 22 जनवरी 2015 को हरियाणा राज्य के पानीपत शहर में किया गया। इसके अंतर्गत कन्या शिशु के लिए जागरूकता का निर्माण करना और महिला कल्याण में सुधार लाना अभियान के प्रमुख बिन्दुओं में से एक है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की आवश्यकता
भारत में 2001 की जनगणना में 0.6 वर्ष के बच्चों का लिंगानुपात का आँकड़ा 1000 लड़कों के अनुपात में लड़कियों की संख्या 927 थी, जो कि 2010 कि जनगणना में घटकर 1000 लड़कों के अनुपात में 918 लड़कियाँ हो गई। सरकार के लिए यह एक गंभीर चिंता का विषय बन गया, इसलिए सरकार को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना शुरू करने की आवश्यकता महसूस हुई।
यूनिसेफ़ (UNICEF) ने भारत को बाल लिंगानुपात में 195 देशों में से 41वां स्थान दिया, यानि की हमारा देश लिंगानुपात में 40 देशों से पीछे है। अपनी रैंक में सुधार करने और कन्या शिशु को बचाने के लिए सरकार द्वारा सख्ती से योजना का शुभारम्भ किया गया।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का उद्देश्य
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का उद्देश्य बेटियों के अस्तित्व को सुरक्षा प्रदान करना है और बेटियों के जन्म दर में बढ़ोतरी करना है। लड़कियों के प्रति शोषण का खत्मा करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
उपसंहार
इस अभियान को जितना फैलाया जा सकता है उतना फैलाना होगा, जिससे हर गाँव, ढाणी और शहर में लड़कियों को हीन भावना से देखना बंद हो जाए। उन्हें पूरा सम्मान और पूरे अधिकार मिल सके। एक बच्ची दुनिया में आकर सबसे पहले बेटी बनती है। वे अपने माता-पिता के लिए विपत्ति के समय में ढाल बनकर खड़ी रहती है। बालिका बन कर भाई की मदद करती है। बाद में धर्मपत्नी बनकर अपने पति और ससुराल वालों का हर अच्छी बुरी परिस्थिति में साथ निभाती है।
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प्रस्तावना
विधाता की इस अनोखी स्रष्टि में नर और नारी इस जीवन के ऐसे दो पहिये है, जो दाम्पत्य बंधन में बधकर स्रष्टि प्रक्रिया को आगे बढ़ाते है, परन्तु वर्तमान समय में अनेक कारणों से लिंग भेद का घ्रणित रूप सामने आ रहा है। जिसके कारण आज बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ जैसी समस्या का नारा देना हमारे लिए शोचनीय है। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ऐसी श्रेष्ट परम्परा वाले देश के लिए यह नारा कलंक है। ईश्वर होकर माता सीता इस कुप्रथा से नहीं बच पायी, फिर हम तो मामूली इंसान हैए हमारी क्या औकात।
वर्तमान में समाज की मानसिकता
वर्तमान में मध्यमवर्गीय समाज बालिकाओं को पढ़ाने की द्रष्टि से अपनी परम्परा वादी सोच को ही महत्व देता चला आ रहा है, क्युकि वह बेटी को पराया धन ही मानता है। इसलिए बेटी को पालना पोषनाए पढ़ाना लिखानाए उसकी शादी में दहेज़ देना आदि बेवजह भार मानता है।
इस तरह कुछ स्वार्थी सोच वाले कन्या के जन्म को ही नही चाहते है, इसलिए वे चिकित्सकीय साधनों द्वारा गर्भाव्यवस्था में ही लिंग परीक्षण करवाकर कन्या जन्म को रोक देते है, परिणामस्वरूप जनसंख्या में बालक-बालिकाओं के अनुपात में बहुत अंतर स्पष्ट रूप से परिलक्षित होने लगता है, जो भारी दाम्पत्य जीवन के लिए एक बड़ी बाधा बन रहा है।
लिंगानुपात में बढ़ता अंतर
आज के समाज की बदली मानसिकता के कारण लिंगानुपात घटने का कारण बन रहा है, विभिन्न दशकों में हुई जनगणना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।सन 2011 की जनगणना के आधार पर बालक और बालिकाओं का अनुपात एक हजार पर 900 के आस-पास पहुच गया है। इस लिंगानुपात के बढ़ते अंतर को देखकर भविष्य में इस चिंता से मुक्त होने होने की दिशा में सरकार ने बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ का नारा दिया है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान एवं उद्देश्य
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के सम्बन्ध में हमारे राष्ट्रपति ने सबसे पहले दोनों सदनों के सयुक्त अधिवेशन के समय जून 2014 को संबोधित किया, जिससे इस आवश्यकता पर बल दिया गया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ उनका सरक्षण और सशक्तिकरण किया जाएण, इसके बाद यह निश्चय किया गया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस अभियान का मुख्य मंत्रालय रहेगा।
जो कि परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ मिलकर इस कार्य को आगे बढ़ाएगे। इस अभियान के अंतर्गत लिंग परीक्षण के आधार पर बालिका भ्रूण हत्याओं को रोकने के साथ बालिकाओं को पूर्ण सरक्षण तथा उनके विकास के लिए शिक्षा से सम्बन्धित उनकी सभी गतिविधियों में पूर्ण भागीदारी होगी। उनको शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और कौशल विकास के कार्यक्रमों में मिडिया के माध्यम से हर तरह से प्रोत्साहित किया जाएगा। संविधान के माध्यम से लिंगाधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नही किया जाएगा, साथ ही लिंग परीक्षण प्रतिबंधित होगा।
उपसंहार
भारत सरकार ने इसके लिए सर्वप्रथम सम्पूर्ण भारत के ऐसे 100 शहरों का चयन किया है, जहाँ लिंगानुपात सबसे न्यूनतम स्तर पर है। इन स्थानों पर सरकार की सम्पूर्ण मशीनरी सहित गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से पूरा ध्यान केन्द्रित कर कुछ त्वरित परिणाम प्राप्त करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
इसमे कन्या भ्रूण हत्या पर पूर्ण पाबंदी है। ऐसा करने वालों के खिलाफ कठोर सजा की व्यवस्था, बेटियों का शिक्षा द्वारा सशक्तिकरण कर उन्हें समाज के सभी विकास कार्यो में समान भागीदारी प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
ईश्वर द्वारा ही सब कुछ निर्धारित होता है, इसलिए ईश्वर ही कर्ता है हम नहीं। इस प्रकार की परिवर्तित सोच से ही बिगड़ते लिंगानुपात में सुधार होगा और बेटियों को समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त होगा। हम समझ जाएगे कि बेटी घर का भार नही है, घर की रौशनी होती है।
Beti Bachao Beti Padhao Essay – बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

प्रस्तावना
हमारी भारतीय संस्कृति में कन्या को देवी का स्वरूप माना गया है, नवरात्रि और देवी जागरण के समय कन्या पूजन की परम्परा से सब परिचित हैं। हमारे धर्मग्रंथ में भी नारी की महिमा का गुणगान करते हैं। आज उसी भारत में कन्या को गर्भ में ही समाप्त कर देने की लज्जाजनक परम्परा चल रही हैं। इस घोर पाप ने सभ्य जगत के सामने हमारे मस्तक को झुका दिया हैं।
कन्या भ्रूण हत्या के कारण
कन्या भ्रूण हत्या के पीछे अनेक कारण हैं, कुछ राजवंशों और सामंत परिवारों में विवाह के समय वर वधु के सामने न झूकने के झूठे अहंकार ने कन्याओं की बलि ली। पुत्री की अपेक्षा पुत्र को अधिक महत्व दिया जाना, धन लोलुपता, दहेज प्रथा तथा कन्या के लालन पोषण और सुरक्षा में आ रही समस्याओं ने भी इस निंदनीय कार्य को बढ़ावा दिया हैं।
कन्या भ्रूण हत्या के दुष्परिणाम
इस निंदनीय आचरण के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। देश के अनेक राज्यों में लड़कियों और लड़को का अनुपात में चिंताजनक गिरावट आ रही हैं। लड़कियों की कमी हो जाने से अनेक युवक कुवारे घूम रहे हैं। अगर सभी लोग पुत्र ही पुत्र चाहेगे तो पुत्रियाँ कहा से आएगी।
कन्या भ्रूण हत्या रोकने के उपाय
कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए जनता और सरकार ने लिंग परीक्षण को अपराध घोषित करके कठोर दंड का प्रावधान किया हैं, फिर भी चोरी छिपे यह काम चल रहा हैं, इसमें डॉक्टरों तथा परिवारजनों का सहयोग रहता हैं। इस समस्या का हल तभी संभव हैं जब लोगों में लड़कियों के लिए हीन भावना समाप्त होए पुत्री और पुत्र में कोई भेद न किया जाए।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान 2021
बेटियां देश की सम्पति हैं, इनको बचाना सभी भारतवासियों का कर्तव्य हैं। वे बेटों से कम महत्वपूर्ण नही हैं। परिवार तथा देश के उत्थान में उनका योगदान बेटों से अधिक हैं, उसके लिए उनकी सुरक्षा के साथ ही उनको सुशिक्षित बनाना भी जरुरी हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने यह सोचकर ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया।
Essay On Beti Bachao Beti Padhao – बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर अनुच्छेद

प्रस्तावना
भारतीय समाज में लडकियों की स्थिति बहुत समय से विवाद का विषय बनी हुई है। आमतौर पर प्राचीन समय से ही देखा जाता है, कि लडकियों को खाना बनाने और गुड़ियों के साथ खेलने में शामिल होने की मान्यता होती है, जबकि लड़के शिक्षा और अन्य शारीरिक गतिविधियों में शामिल होते हैं। ऐसी पुरानी मान्यताओं की वजह से लोग महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने को आतुर हो जाते हैं। इसके परिणाम स्वरूप समाज में बालिकाओं की संख्या लगातार कम होती जा रही है।
कन्या भ्रूण हत्या का कन्या शिशु अनुपात कमी पर प्रभाव
कन्या भ्रूण हत्या अस्पतालों में लिंग परीक्षण के बाद गर्भपात के माध्यम से किया जाने वाला एक बहुत ही भयानक अपराध है। यह समस्या देश में अल्ट्रासाउंड तकनीकी की वजह से ही संभव हो पाया है। इस समस्या ने समाज में भयानक दानव का रूप ले लिया है। भारत में महिला लिंग अनुपात में भारी कमी 1991 की राष्ट्रिय जनगणना के बाद देखी गई थी।
सन् 2001 में मध्य प्रदेश में लडकियों/लड़को का अनुपात 932:1000 था और 2011 में यह अनुपात 912:1000 तक कम हो गया था। इसका अर्थ यह है कि यह समस्या आज तक जारी है और अगर इसी तरह भ्रूण हत्या होती रही तो आने वाले 2022 तक यह समस्या 900-1000 तक कम हो जाएगी।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जागरूकता अभियान
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एक ऐसी योजना है जिसका अर्थ होता है कन्या शिशु को बचाओ और इन्हें शिक्षित करो। इस योजना को भारतीय सरकार के द्वारा 22 जनवरी 2015 को कन्या शिशु के लिए जागरूकता का निर्माण करने के लिए और महिला कल्याण में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था।
इस अभियान को कुछ गतिविधियों जैसे:- बड़ी रेलियों, दीवार लेखन, टीवी विज्ञापनों, होर्डिंग, लघु एनिमेशन, वीडियो फिल्मों, निबंध लेखन, वाद-विवाद आदि को आयोजित करके लोगों में फैलाया गया था। इस अभियान को बहुत से सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों द्वारा समर्थित किया गया है।
इस अभियान को समाज के हर वर्ग के लोगों ने बहुत ही प्रोत्साहित किया है। हमारे समाज में ऐसे बहुत से घर या परिवार हैं जहाँ पर लडकियों को बराबर नहीं समझा जाता है, लडके-लडकियों में भेदभाव किया जाता है। लडकियों को परिवार में वह दर्जा नहीं मिलता है जिसकी वे हकदार होती हैं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के प्रभावशाली कदम
सरकार द्वारा लडकियों को बचाने और शिक्षित करने के लिए बहुत से कदम उठाए गये हैं। इस विषय में सबसे बड़ी पहल बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ है। इसी दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना की शुरूआत की है, जिसके तहत लड़कियों की पढ़ाई और शादी के लिए सरकार पैसे मुहैया कराएगी।
इन कदमों को समाज के लोगों को यह बताने के लिए लिया गया है कि लड़कियां समाज में अपराध नहीं होती है अपितु भगवान का दिया हुआ एक बहुत ही खुबसुरत तोहफा होती हैं। सभी सार्वजनिक स्थानों पर लडकियों के लिए रक्षा और सुरक्षा आयोजित करनी चाहिए। विभिन्न सामाजिक संगठनो ने महिला स्कूलों में शौचालय के निर्माण से अभियान में मदद की है। बालिकाओं और महिलाओं के विरुद्ध अपराध भारत में विकास के रास्ते में बहुत बड़ी बाधा है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की आवश्यकता
बेटी किसी भी क्षेत्र में लडकों की तुलना में कम सक्षम नहीं होती है और लडकियाँ लडकों की अपेक्षा अधिक आज्ञाकारी, कम हिंसक और अभिमानी साबित होती हैं। लडकियाँ अपने माता-पिता की और उनके कार्यों की अधिक परवाह करने वाली होती हैं।
प्रत्येक मनुष्य को यह सोचना चाहिए कि उसकी पत्नी किसी और आदमी की बेटी है और भविष्य में उसकी बेटी किसी और की पत्नी होगी। इसीलिए हर किसी को महिला के प्रत्येक रूप का सम्मान करना चाहिए। लडकियाँ मानव जाति के अस्तित्व का परम कारण होती हैं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का उद्देश्य
इस मिशन का मूल उद्देश्य समाज में पनपते लिंग असंतुलन को नियंत्रित करना है। यह अभियान हमारे घर की बहु-बेटियों पर होने वाले अत्याचार के विरुद्ध एक संघर्ष है। इस अभियान के द्वारा समाज में लडकियों को समान अधिकार दिला जा सकते हैं। आज के समय में हमारे समाज में लडकियों के साथ अनेक प्रकार के अत्याचार किये जा रहे हैं जिनमें से दहेज प्रथा भी एक है। लडकियों को समाज में कन्या भ्रूण हत्या का सामना करना पड़ता है।
हम अपनी बेटियों को पढ़-लिखकर अपने सपनों को हासिल करने का मौका दे सकते हैं, जो भविष्य में कन्या भ्रूण हत्या और दहेज प्रथा को ना कहने की हिम्मत देगा। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान हमारे देश के प्रधानमंत्री द्वारा चलाया गया एक मुख्य अभियान है। भारत का यह सपना है कि लडकियों को उनका अधिकार मिलना चाहिए और एक स्वस्थ समाज का निर्माण करना चाहिए।
उपसंहार
भारत के प्रत्येक नागरिक को कन्या शिशु बचाओ के साथ-साथ इनका समाज में स्तर सुधारने के लिए प्रयास करना चाहिए। लडकियों को उनके माता-पिता द्वारा लडकों के समान समझा जाना चाहिए और उन्हें सभी कार्यक्षेत्रों में समान अवसर प्रदान करने चाहिए।
आपको हमारा beti bachao beti padhao essay in hindi कैसा लगा ? हमे कमेंट करके ज़रूर बताये। हमने ये निबंध खास आपके लिए बहुत सोच विचार के बाद लिखें है। तो इन्हे शेर करना ना भूलें। अगर आपको और भी हिन्दी संबंधित निबंध पढ़नें हों तो आप हमारी वेबसाइट Hindify.org से जुड़े रहें। यहाँ आपको सबसे बेहतरीन निबंध मिलेंगे और वो भी नये-नये टॉपिक पर। हमारा ये निबंध लिखने का एकमात्र उद्देश्य ये है, की हम आपको ये समझने में मदद कर सके की लड़कियाँ भी लड़को से कम नहीं होती हैं।
Very nice.
tqq sir